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पद्मिनी एकादशी व्रत 2023 | श्री विष्णु के व्रत से पापों से मुक्ति

सुनील

पद्मिनी एकादशी व्रत | श्री विष्णु के व्रत से पापों से मुक्ति

ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः

पद्मिनी एकादशी व्रत : हिन्दू धर्म में प्रत्येक एकादशी को महत्वपूर्ण माना गया है और हर एकादशी का अपना एक महत्त्व है। तीन साल में एक बार, अधिक मास में आने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह तीन साल में एक बार आती है और मान्यता है कि इसका व्रत रखने से व्यक्ति को कई तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने वालों को इस दिन कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।  

पद्मिनी एकादशी व्रत

29 जुलाई, शनिवार 2023 को पद्मिनी एकादशी मनाई जाएगी।हिन्दुओं का यह एक महत्वपूण त्योहार है, जो शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत, कथा पाठ करके मनाया जाता है। भगवान श्री विष्णुजी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्यों को मोक्ष प्राप्त होता है।

अर्जन को मिली थी पापों से मुक्ति

कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अर्जुन को बताया था कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान् श्री विष्णु जी के कहे अनुसार अर्जुन ने नियमपूर्वक इस दिन व्रत रखा और अर्जुन को सभी पापों से मुक्ति मिल गई।

हर पावन पर्व की भांति पद्मिनी एकादशी को भी साधक को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए फिर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। विधिवत तुलसी, फूल, फल और मिठाई का अर्पण करना चाहिए और श्री विष्णु जी के मंत्रों का जाप करके उनकी आरती करनी चाहिए।

पद्मिनी एकादशी व्रत करने से वंश वृद्धि होती है

व्यक्ति से जीवन में जाने अनजाने बहुत से पाप कार्य हो जाते हैं और पद्मिनी एकादशी का व्रत करके श्री विष्णु जी का जप, अर्चना करके आपने पापों से मुक्ति पा सकता है। व्रत करने वाले साधक के वंश में वृद्धि होती है। वर्ष २०२३ की पद्मिनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। ऐसा माना जाता है की इस दिन व्रत करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।

19 साल बाद अधिकमास सावन का संयोग

पंचांग के अनुसार 19 साल बाद अधिकमास सावन के महीने में आया है और पद्मिनी एकादशी ऐसे पुन्य पर्व पर पड़ रही है। पद्मिनी एकादशी पर भगवान गणेश, शंकर-पार्वती जी, लक्ष्मी-नारायण की पूजा अर्चना करने से पुन्य मिलेगा और साथ थी साथ शनिवार का दिन होने से शनि देव का अभिषेक करना भी उत्तम रहेगा।

इस दिन पीपल की पूजा करने से पुन्य मिलता है। मान्यता है की पीपल में श्री विष्णु जी का वास होता है। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद पीपल के वृक्ष में तिल, कच्चा दूध, गंगाजल चढ़ाना चाहिए।

और अधिक जानकारी के लिए पंचांग का प्रयोग करे और श्रेष्ठ पंडिज जी पूजा अर्चना करवा सकते हैं।

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फोटो गूगल से ली गई हैं जो AI बेस्ड हैं. अन्य किसी की फोटो को इस्तेमाल करना गलत है. इश्वर की पूजा विधि विधान और सच्चे मन से होती है, शुद्ध भाव से होती है. ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः

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