मुर्शिदाबाद दंगे: वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में हिंसा का विस्तृत विश्लेषण

MURSHIDABAD RIOTS पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में अप्रैल 2025 में हुए दंगे, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप भड़की हिंसा का गंभीर परिणाम था। इस घटना ने न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि समाज में धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव को भी बढ़ावा दिया।
🔹 वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025: विवाद की जड़
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई और 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी हुआ। इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में केंद्रीय नियंत्रण को बढ़ावा देने के प्रावधान थे। इसने मुस्लिम समुदाय के बीच चिंता और असंतोष को जन्म दिया, क्योंकि इसे धार्मिक स्वतंत्रताओं और अल्पसंख्यक अधिकारों पर आक्रमण के रूप में देखा गया। Wikipedia
🔹 मुर्शिदाबाद में हिंसा का घटनाक्रम
विरोध प्रदर्शन 8 अप्रैल 2025 को शुरू हुए और 13 अप्रैल 2025 तक जारी रहे। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 12 को अवरुद्ध किया गया, पुलिस वाहनों को आग के हवाले किया गया, और स्थानीय सांसद के कार्यालय पर हमला किया गया। निमतिता रेलवे स्टेशन पर ट्रेन सेवाओं में भी व्यवधान उत्पन्न हुआ। 12 अप्रैल को हिंसा में दो परिवारिक सदस्य, हरगोबिंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की हत्या कर दी गई। इसके अलावा, 17 वर्षीय इज़ाज़ अहमद शेख की भी गोली लगने से मृत्यु हो गई।

🔹 प्रशासनिक प्रतिक्रिया – MURSHIDABAD RIOTS
राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की और प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप सीमा सुरक्षा बल (BSF) की टुकड़ियाँ भेजी गईं। कुल मिलाकर, 274 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया और 60 प्राथमिकी दर्ज की गईं।
🔹 राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- ममता बनर्जी (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल): उन्होंने हिंसा की निंदा की और आश्वासन दिया कि राज्य में वक्फ अधिनियम को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि वे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
- सुवेंदु अधिकारी (विपक्ष के नेता): उन्होंने इसे “पूर्व नियोजित हमला” करार दिया और आरोप लगाया कि यह धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश थी।
- सुकेतां मजूमदार (भा.ज.पा. अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल): उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रही और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाया।
🔹 सामाजिक और सांप्रदायिक प्रभाव
हिंसा के परिणामस्वरूप 400 से अधिक लोग, जिनमें महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं, अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हुए। वे पड़ोसी जिले मालदा में शरण लेने गए। इस घटना ने राज्य में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया और समाज में विभाजन की भावना को गहरा किया।
🔹 निष्कर्ष MURSHIDABAD RIOTS
मुर्शिदाबाद की हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया कि संवेदनशील धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ और प्रशासन की तत्परता समाज में स्थिरता बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार की ओर से वक्फ अधिनियम को लागू न करने की घोषणा के बावजूद, इस घटना ने राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
यह घटना न केवल पश्चिम बंगाल, बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक चेतावनी है कि संवेदनशील मुद्दों पर सभी पक्षों को संयम और समझदारी से काम लेना चाहिए, ताकि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके।